बंद खिड़कियाँ - 18

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अध्याय 18 उसके पेट के अंदर से एक भयंकर ज्वाला उठी। कुर्सी को मजबूती से उसने पकड़ा। आंखें चौड़ी होकर फैल 50 साल पीछे झांकने लगी। सरोजिनी को यह बात सोच-सोच कर अब भी सहन नहीं हो रही थी। जंबूलिंगम मरने-मारने में पीछे नहीं रहता है ऐसा एक संदेह सरोजिनी के मन में हमेशा से था। राक्षसों जैसे भीम काय शक्ल के आदमी बाहर के कमरे में चार पांच लोग उससे बातें करते थे यह बात उसे पता था । उन आदमियों को देखकर ही उसे दुख होता था। जम्बूलिंगम से उनके बारे में पूछने की उसकी हिम्मत नहीं थी।