बंद खिड़कियाँ - 19

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अध्याय 19 कार्तिकेय की गाड़ी कंपाउंड के अंदर आ रही थी । सरोजिनी को दिखाई दी तो वह हड़बड़ा कर वर्तमान में लौटी। "रत्नम को मरे दस साल हो गए ‌अभी तक मुझे उसके ऊपर जो नाराजगी थी वह कम क्यों नहीं हुई"उसे खुद को आश्चर्य हुआ। अभी इतनी सुबह से उसके बारे में सोच कर बैठे रहो तो और किसी काम में मन ही नहीं लगेगा.... कार की आवाज को सुन मुरूगन भागकर गाड़ी में से सब्जियों के थैलियों को उठा कर लाया। अरुणा मुस्कुराते हुए चेहरे से सरोजिनी को देखकर हाथ हिलाते हुए आईं। "क्यों दादी धूप सेक