टॉम काका की कुटिया - 24

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24 - शेल्वी की प्रतिज्ञा गर्मी के दिन थे। दोपहर की सख्त गर्मी के कारण शेल्वी साहब अपने कमरे की खिड़कियाँ खोले हुए बैठे चुरुट पी रहे थे। उनकी मेम पास बैठी हुई सिलाई का बारीक काम कर रही थीं। बीच-बीच में मेम के बड़ी उत्सुकतापूर्वक शेल्वी साहब की ओर देखने से प्रकट हो रहा था, जैसे वह अपने मन की कोई बात कहने के लिए मौका ढूँढ़ रही हों। थोड़ी देर बाद मेम ने कहा - "तुम्हें मालूम है, क्लोई के पास टॉम की चिट्ठी आई है?"  शेल्वी बोला - "हाँ, चिट्ठी आई है? जान पड़ता है, टॉम को