टॉम काका की कुटिया - 36

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36 - अत्याचारों की पराकाष्ठा टॉम ने थोड़े ही समय में लेग्री के खेत के काम ढंग और यहाँ का रवैया समझ लिया। कार्य में वह बड़ा चतुर था, और अपने पुराने अभ्यास तथा चरित्र की साधुता के कारण किसी कार्य में भूल अथवा लापरवाही न करता था। उसका स्वाभाव भी शांत था, इससे उसने मन-ही-मन सोचा कि यदि मेहनत करने में हीला-हवाला न किया जाए तो कदाचित कोड़ों की मार न सहनी पड़े। यहाँ के भयानक अत्याचार और उत्पीड़न देखकर उसकी छाती दहल गई। पर वह ईश्वर को आत्म-समर्पण करके धीरज के साथ काम करने लगा। उसका मन कभी