अग्निजा - 20

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प्रकरण 20 डॉक्टरों की बात सुनकर रणछोड़ दास, शांति बहन और जयश्री-तीनों ही स्तब्ध रह गए। शांति बहन का चेहरा उतर गया। आंखों से आंसू बहते इसके पहले ही वह किनारे पड़े हुए पलंग पर जाकर बैठ गईं। जयश्री खिड़की के पास जाकर खड़ी हो गई। रणछोड़ दास डॉक्टरों के पीछे-पीछे गया। “डॉक्टर साहब, मेरे बेटे को बचाइए। खर्च की चिंता मत कीजिए। तुरंत पैसे देता हूं।” डॉक्टर सोच में पड़ गए, “लड़का है या लड़की ये तो ऊपर वाला ही जानता है लेकिन इसको अपने बेटे को बचाना है। पत्नी की जान की इसको कोई चिंता भी नहीं और