तमाचा - भाग 3 (अप्सरा)

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(आपके स्नेह और प्रेम के लिए आभार । प्रस्तुत है भाग- 3 -अप्सरा)सूर्य अपने तेज के साथ सूर्यनगरी जोधपुर के किले को प्रातः का प्रणाम कर रहा था। लोग अपने -अपने घरों से अपने कार्यस्थलों की ओर प्रस्थान कर रहे थे। चाय और नाश्ते की दुकानों में भीड़ धीरे-धीरे बढ़ रही थी, जिसमें अधिकतर विद्यार्थी थे ,जो रोजगार पाने के लिए कोचिंगों में जाने की तैयारी में थे।जालोरी गेट के पास नाश्ते की एक दुकान में एक युवती अपने पति साथ प्रवेश करती है और दुकान के अंदर के सभी मर्दो को अपनी और आकृष्ट कर लेती है। उसने एक