तमाचा - भाग 4 (कली)

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संध्या का समय। आकाश में कुछ हल्के श्वेत बादल अपनी आनंदमयी गति के साथ चल रहे थे। हवा भी शीतलता द्वारा अपनी सुहावनी उपस्थिति दर्ज करा रही थी। जैसलमेर के रेलवे स्टेशन के पास एक हॉटेल में विक्रम नाम का एक अधेड़ आदमी सैलानियों को उनके कमरे में ले जा रहा था। "यहाँ के रूम और यहाँ का खाना , दोनों जैसलमेर के बेस्ट है, अभी आप आराम फरमाइए और फिर खाने के लिए मिलते है।""अच्छा! वैसे यहाँ खाने में क्या-क्या फेमस है?" सैलानियों के उस दल में से एक मोटा आदमी जिसका पेट अपनी कमीज से बाहर निकल रहा