ज़िद्दी इश्क़ - 4

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माहेरा को जब होश आया तो उसने खुद को एक अनजान जगह पाया। वोह जितनी भी बहादुर थी पर अब उसे इस जगह से डर लग रहा था। कमरे में बिल्कुल अंधेरा था। अचानक कमरे का दरवाजा खुला और रामिश अंदर आया। रामिश ने उसे इशारा करके अपने साथ चलने के लिए कहा। उसका इशारा समझ कर माहेरा जल्दी से खड़ी हुई और उसके पीछे चलने लगी। बाहर जाते हुए उसे अचानक सोफ़िया का खयाल आया। "मेरी दोस्त कहा है?" माहेरा ने इटेलियन लैंग्वेज में कहा। "वोह ठीक है तुम फिक्र मत करो।" रामिश ने मुड़ते हुए उसे जवाब दिया।