मेदिनी - 1

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मेदिनीचूल्हे को फुँकनी से फूँक कर जलाती हुई सिया अपने पल्लू से बार - बार आँखों को पोंछती जाती थी , धुँए की जलन से उसकी आँखें बराबर बह रहीं थीं, शायद लकड़ी गीली थी। बार बार फूँकने से उसे खाँसी आ गयी लेकिन वह अनवरत अपने काम में लगी रही । काहे कि दस भूखे पेट उसका इंतजार कर रहे थे। सास, ससुर , उसका पति जगतराम , उसकी दादी सास, उसके तीन बच्चे , उसकी ननद और उनका बेटा। अँधेरा भी गहरा आया था। यूँ तो गाँव मे बिजली थी पर उनके घर पर नहीं थी क्योंकि पैसा