इश्क़ ए बिस्मिल - 12

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जो तुम्हारा हो ना पाया, सोचो भला क्यों? उसे दिल मे बसाया बहुत क़दरदान थे तुम्हारे इस मकान के, काश के तुमने इशतेहार ना होता लगाया। अज़ीन बहन से लिपट कर उन्हें डरी हुई नज़रों से देख रही थी। आज से पहले वह उनसे इतना तब डरी थी जब वह इस घर में पहली दफ़ा आई थी। "तुम्हें क्या लगता है लड़की? अगर गलती से मेरे एक बेटे की शादी तुम्हारी बहन से हो ही गई है, तो क्या मैं यह गलती दोबारा दोहराना पसंद करूंगी? आसिफ़ा बेगम अपने मुंह से जैसे ज़हर उगल रहीं थीं। अरीज ने इस बेइज़्ज़ती