तमाचा - 11 (सफ़र)

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"अरे ! अरे! जरा पल भर रुक तो सही।" विक्रम ने अपनी बेटी के उतावलेपन को शांत करने के लिहाज से बोला। " और जन्म दिवस की बहुत - बहुत बधाई हो मेरी बिटिया रानी, तुम हमेशा खुश रहो। तुम्हें कभी कोई मुसीबत न आये।" विक्रम ने अपनी बेटी को जन्मदिन की शुभकामनाएं तो दी पर उसके मुख पर वह प्रसन्नता नहीं दिखाई दी । वह अभी तक इसी दुविधा में था कि क्या बोलूँ इसको। "थैंक यू , पापा। अब बताओ कहाँ चल रहे हो और आज खाना बाहर ही खाएँगे।" बिंदु ने अपने उत्साह को चरम स्थिति पर