अधूरी कहानी

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स्वरा पूरी रात करवटें बदलती रही। नींद उस से कोसों दूर थी। आंखें बुरी तरह जल रही थीं। वह अपने दिलो दिमाग से सब कुछ निकाल देना चाहती थी, पर कामयाब नहीं हुई। पास की मस्जिद से अज़ान की आवाज़ से अंदाज लगाया कि चार बज गये हैं। वह शॉल लपेट कर बाहर लॉन में आ गई। अभी अंधेरा था बाहर। कुछ देर ओस में भीगी घास पर नंगे पांव चलती रही, मानो अपने अंदर की जलन-तपन शांत करना चाहती हो। अंदर आ कर देखा घड़ी का छोटा कांटा पांच को छू रहा था। वह हौले से दरवाजा उढका कर