इश्क़ ए बिस्मिल - 32

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अरीज को यकीन नहीं हो रहा था। वह आसिफ़ा बेगम को इतना कुछ सुना चुकी थी मगर बदले में उन्होंने उसे एक लफ्ज़ भी नहीं कहा था। वह थोड़ी देर उनके बोलने का इंतज़ार करती रही मगर जब उन्होंने कुछ नहीं कहा तो वह कमरे से जाने के लिए मुड़ गयी और अपने सामने दरवाज़े पर उमैर को खड़ा पाया। अरीज ने एक पल उसे देखा और दूसरे ही पल उसे नज़र अंदाज़ कर के उसके बगल से निकल गई, मगर उमैर उसे नज़र अंदाज़ नहीं कर सका। वह अपनी आँखों में तमाम तर नफरतें लिए उसे घूरता रहा यहाँ