तमाचा - 15 (पुरानी यारी)

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लंबे अंतराल के पश्चात मोहनचंद आज अपने हृदय के भीतरी कोने से मुस्कुराएँ थे। उनके स्कूल का दोस्त घनश्याम जो उसे अचानक मिल गया। उसे अपने घर लाये और बातें करने लगे अपने जमाने की। अपने जमाने को याद करते हुए उन्होंने चाय और बिस्किट को भी गुजरे हुए जमाने का बना दिया। घनश्याम अपनी बेटी प्रिया को जयपुर कुछ शॉपिंग कराने आया था जो अभी उनके पास बैठी कुछ बोर सी हो रही थी और शर्म से अपनी नजरें नीचे झुकाएँ अपने मुख पर गंभीरता लिए हुए बैठी थी। "क्या करती हो तुम बेटा?" मोहनचंद ने प्रिया को स्नेहपूर्वक