भ्रम - अंतिम भाग - 20

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समर की बात सुन कर वहां मौजूद हर इक का ध्यान पुजारी जी पर गया, जो समर की बात सुन कर और भी गंभीर दिख रहे थे, "बेटे..! मैं देख पा रहा हूँ कि आज की रात आप लोगो के लिए भारी है...बहुत भारी! बस इसी बात की चिंता हो ही है.." पुजारी जी बोले। पीकू ने थूक गुटका, रात के दो बज रहे थे, वो सब अभी तो पुजारी जी के एक छोटे से कमरे में आग के बीच बैठे थे, मगर उन्हें अब कुछ ही मिनटों में अपने काम को अंजाम देने जाना था। सभी की सांसे अटकी