इश्क़ ए बिस्मिल - 43

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अरीज बिल्कुल खामोश थी हालांकि उसके दिल में तबाही जैसा आलम मचा हुआ था। वह पत्थराई हुई आँखों से एक टक उमैर को ही देख रही थी। आज उसे पता चला था इस रिश्ते से इंकार करने की असल वजह क्या थी? एक वादा था... किसी का भरोसा था जो उमैर नहीं तोड़ना चाहता था भले ही इसके लिए वह बाकी रिश्तों को तोड़ देता या फिर किसी के दिल को। हाँ! दिल तो टूटा था अरीज का मगर बेआवाज़ इसलिए शायद उमैर को अंदाज़ा नहीं हुआ था अरीज के तकलीफ का। वह बड़ी ढिटाई से अरीज को देख रहा