ताश का आशियाना - भाग 18

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रागिनी खुदके अतीत से ही जाग उठी। बाहर श्याम हो चुकी थी। "मैं इतने देर तक सोती रही?" पहला सवाल रागिनी के मन में यही उठा। कभी–कभी नींद थक जाने पर नही लगती जब लगती है तब हम इतना थक जाते है की उठने का मन नहीं होता। जैसे एक ही नींद में उसने पूरे हफ्ते की नींद बहा दी हो।रागिनी का सिर भारी हो चुका था, फिर भी वो उठी और फ्रेश होकर पेट का आसरा ढूंढने रूम से बाहर चल पड़ी।वैसे भी सुबह के कचोरी पर ही थी वो, दोपहर के खाने में जो बखेड़ा खड़ा हुआ उसके