तुम आओगे न

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तुम आओगे न     वह जानती है वह सब प्रेम तो कतई नहीं था, लेकिन वह प्रेम से इतर उस सबमें कुछ और चाह कर भी तलाश नहीं पाती। उसका आलिंगन करना, कीमती उपहार लाकर देना, लुभावन बातें करना और बात-बात में सखी-ओ-सखी कहना, कितना शातिर लगता था उसका हर व्यवहार, एकदम बनावटी व्यक्ति, कितने उपक्रम करता था वह मेरा प्रेम पाने के लिए, कितने पुख्ता तरीके से जताता था- ‘सुजाता तुमसे बेइंतहा मोहब्बत है।‘ सुजाता ने अपना बासठवा साल पूरा किया है। वह, यानी राजशेखर उससे पूरे आठ साल बड़ा था। “अरे, आज चौबीस अक्तूबर है यानी राज