धर्म युद्ध

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विजया दशमी का शुभ दिन, सभी लोग जवारा निकालने की तैयारी में जुटने लगे।ढोल,नगारे, शंख,घण्टा आदि सभी संगीत के आयाम मौजूद थे।माँ दुर्गे की प्रतिमा सुसज्जित रथ पर खड़ी जैसे अपने भक्तों पर आशीर्वाद बरसा रही हो। वातावरण ट्रांजिस्टर की ध्वनि से संगीतमय हो रहा था।भक्तियुक्त गीत उस समय और रोमांच भर रहा था,कोई नाच रहा था,कोई गीत में स्वरबद्ध होकर गा रहा था।मंडली के सदस्यगण योजना बना रहे थे की रथ किस गली से होकर माँ की प्रतिमा को विसर्जन के लिए ले जायें।तभी पंडितजी योजना के बीच में माहौल गरम करते हुए कहा कि सुना है मुल्लाजी कह