तमाचा - 28 (पहली नज़र का पहला असर)

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ब्लू कलर का गाउन पहने आज बिंदु कई दिनों के बाद इस तरह सजी थी। उसने अपने मन को किसी तरह पापा के साथ जाने को मना लिया। हालाँकि वह नख से शीश तक जँच रही थी; पर एक सबसे सुंदर और प्यारी चीज की उस पर कमी लग रही थी। वह थी उसकी मुस्कुराहट। उसका चेहरा अभी तक अपने मन की उदासी को झेल रहा था। लेकिन उसने तय कर लिया कि अब उसे अपने मन की करनी है। पापा जब ऐसा काम कर सकते है तो वह भी कुछ भी कर सकती है। उसका तेवर आंतरिक तौर से