उस घर का दरवाज़ा

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गिरीश पंकज शुचिता शाम को जिम से लौटी, तो उसके चेहरे की अतिरिक्त प्रसन्नता को देखकर वन्दना ने पूछ लिया, "बहू, आज तो तुम बहुत खुश नजर आ रही हो. लगता है, वजन कुछ कम हो रहा है?" शुचिता ने मुस्कराते हुए ज़वाब दिया, " हाँ मम्मा, दो-तीन सौ ग्राम तो कम हुआ है. धीरे-धीरे और भी कम होगा. जिम का हमारा ट्रेनर राहुलकुमार मुझ पर बहुत ध्यान दे रहा है. वह कहता है कि दो महीने में कम-से -कम चार किलो वजन तो कम कर ही देगा." वंदना ने कहा, ''यह तो बड़ी खुशी की बात है. वजन कम