छुटकी दीदी - 15

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- 15 - अग्रवाल जी जब चले गए तो नानी के साथ सलोनी नए फ़्लैट में चली गई। सारा नया फ़र्नीचर, ताज़े रंग रोगन से चमकती दीवारें . … खिड़कियों-जंगलों पर लटकते नए व क़ीमती पर्दे … बिल्कुल आधुनिक किचन …. धूप और ताज़ा हवा से भरपूर। सब कुछ देखकर, उनका प्रयोग करके नानी बहुत ख़ुश थी। बार-बार कहती, ‘सलोनी, तू तो मुझे स्वर्ग में ले आई है। हम तो पैसा खर्च करके भी घर की इतनी सजावट नहीं कर सकते थे।’ ‘हाँ नानी, यह तो हमारी माँ के फ़्लैट से भी कई गुना अच्छा है। मेरा मन तो करता