इस प्यार को क्या नाम दूं ? - 22

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(22) हॉल में सत्यनारायण भगवान की कथा की तैयारियां हो चुकी थी। पण्डितजी भी आ गए थे। देवयानी ने फोन करके पायल, मनोरमा व मधुमती को भी कथा में बुलवा लिया था। अर्नव के ऑफिस से जरूरी काम आन पड़ा था। वह अपने कमरे में लेपटॉप के सामने बैठा हुआ ऑनलाइन मीटिंग ले रहा था। नियत समय पर सत्यनारायण भगवान की कथा प्रारंभ हुई। खुशी का मन कथा में भी नहीं लग रहा था। कथा में आए प्रसंग को सुनकर उसके दिमाग ने मन से ज़िरह छेड़ दी। खुशी आज अपने ही मन और बुद्धि के कारण दुःख के सागर