जिंदगी और सफर

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मानव खोजी अपनी खोजी प्रबृत्ति के कारण जगह जगह की सभ्यता, संस्कृति, संस्कार ,भाषा, बोली और वातावरण ,इतिहास को जाजने के लिये एक जगह से दूसरी जगह जाता आता रहता है साहित्य में यात्रा संस्मरण लिखे जाते है जो समचीन समाज को सार्थक संदेश तो देते ही है कुछ जानने सीखने का अवसर भी प्रदान करते है ।।जयेंद्र के पिता पंडित जसराज एक साधारण परिवार के मुखिया थे जयेंद्र तीन भाइयों निकुंज ,नीरव में सबसे छोटा था बचपन से ही जयेंद्र का पढ़ने लिखने में कम घूमने फिरने में अधिक मन लगात जब गांव के आस पास कोई मेला या