अतीत के पन्ने - भाग 34

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अतीत के पन्ने कुछ ऐसे होते हैं जो सदियां बीत जाने पर भी निशान जाती नहीं है।बाबू ओ बाबू उठ ना ।आलेख उठ बैठा और अपने सिरहाने राधा मासी को देखते ही खुश हो गया।आलेख ने कहा क्या मासी सपना देख रहा था पर अधूरा रह गया।राधा ने कहा अब बस कर सपना देखना तू अब सर्जन बन गया है और अभी तक उसके पीछे पड़ा है।आलेख ने कहा हां, क्या करूं प्यार किया है सच्चा वाला।।राधा ने कहा चल अब तैयार हो जा मार्केट चलते हैं।।आलेख ने कहा पर क्यों? राधा ने कहा कल जीजा जी की सालगिरह है।भुल