फादर्स डे - 35

  • 946
  • 297

लेखक: प्रफुल शाह खण्ड 35 रविवार, 12/12/1999 प्रतिभा सुबह जल्दी जाग गई। सूर्यकान्त तो पहले ही जाग चुका था और तैयार होकर उसे कहीं निकलने की जल्दी थी। प्रतिभा ने उसे देर रात तक कुछ लिखते हुए देखा था। उसने जनाबाई को इस बारे में बताया। जैसा कि हमेशा होता है, जनाबाई ने विष्णु को, विष्णु ने शालन को शालन ने शामराव को बात आगे बढ़ा दी। तो अब जब सूर्यकान्त साई विहार से बाहर निकलने को था, पांच जोड़ी आंखें सूर्यकान्त का पीछा कर रही थीं। वास्तव में वे जानना चाहते थे कि आखिर मामला क्या था। लेकिन सूर्यकान्त