यात्रा डायरी इस बार संस्कारधानी से

  • 2.7k
  • 903

मुझे अपने नवाबों के शहर लखनऊ को कुछ ही दिनों के लिए सही,छोड़ते हुए अजीब सा लगता है। गोरखपुर हो,लखनऊ हो या यह अपना शरीर ही हो जब छूटेगा तो उसका मोह तो रोकेगा ही ! लेकिन क्या समय अपनी चाल रोकता है ? नहीँ ना?मैं सपत्नीक 9 नवंबर 2023 की शाम5-15 बजे संस्कारधानी उर्फ़ जबलपुर के लिए चित्रकूट एक्सप्रेस पर इस दीवाली को मनाने के लिए सवार हो चुका हूं। ट्रेन साफ़ सुथरी है। फर्स्ट ए. सी. में हूं ।मेरी केबिन में कोई दूसरी सवारी नहीँ है तो मानो अपना राज हो। एक फ़िल्मी गीत याद आ रहा है..