प्यार की प्यासी

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मेरा गोरा रंग, बोलती आंखें, कंधों तक बलखाते बाल, चौड़ी छाती, पतली कमर और चिकनी सुडौल जांघे सभी को लुभाती थी। पुरुष मेरे सौंदर्य को देखकर कहते-‘यह लड़की तो किसी रसगुल्ले से कम मुलायम और रसदार नहीं है। इसे देखने मात्र से ही जन्नत की सैर हो जाती है।’मैं सुन्दर थी। मेरी देह-यष्टि आकर्षक थी। मैं पुरुषों के मुंह से ऐसे शब्द सुनते ही नारी स्वाभाववश खिल जाती और मुझे अपनी खूबसूरती का बरबस ही आभास होने लगता। मैं बुदबुदाए बिना न रह पाती-‘मुझ पर तुम सब मरते हो तो मरो, मैं किसी के हाथ नहीं आने वाली… मैं तो