साथिया - 45

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भले मैं उसे बहुत प्यार प्रेम करता हूं मेरी इकलौती संतान है। उसकी खुशी चाहता हूं पर अपने मान सम्मान और इस गांव के नियम और कायदे कानून से बढ़कर कुछ भी नहीं है। यहां के भाग्य विधाता हम थे हम हैं और हम लोग ही रहेंगे। यहां पर किसी को भी कुछ भी गलत करने की इजाजत नहीं है और ना ही अपनी मर्जी से अपना जीवनसाथी चुनने की और विजातीय विवाह की। समझ रही हो तुम..?" अवतार सिंह ने कहा तो भावना ने गर्दन हिला दी। "तुम्हे याद रहे मेरे लिए सम्मान खोने से और बेज्जती होने से