ड्यूटी और संतुष्टि

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ड्यूटी और संतुष्टि रमेश कुमार बचपन से ही प्रतिभाशाली था। वह बड़ा होकर सेना या पुलिस विभाग में उच्च अधिकारी बन देश की सेवा करना चाहता था। इसके लिए वह हाड़तोड़ मेहनत भी कर रहा था। पर कहते हैं न कि समय से पहले और भाग्य से अधिक न कभी किसी को मिला है न मिल सकता है। रमेश कुमार के साथ भी ऐसा ही हुआ। वर्तमान गलाकाट प्रतिस्पर्धा और विभिन्न प्रकार के आरक्षण के कारण सामान्य वर्ग के प्रतिभाशाली नवयुवक रमेश कुमार को नौकरी के लिए निर्धारित उच्चतम सीमा के करीब पहुँचते तक मामूली सिपाही का पद ही हासिल