नागफनी

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प्रभा ने खिड़की खोली तभी मेट्रो ट्रेन सामने से धड़धड़ाते हुए निकल गयी।दीवारें एकबारगी हिलती हुई-सी महसूस हुई।बिलकुल आँखों के सामने ही है मेट्रो लाइन, लगता है खिड़की से हाथ निकाल कर उसे छुआ जा सकता है।दिन में जाने कितनी बार धड़धड़ाती है ये,रात साढ़े ग्यारह बजे आख