आँच - 5 - यह बाज़ार है मियाँ !

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अध्याय पाँच यह बाज़ार है मियाँ ! सन् 1837 में बहादूर शाह ‘ज़फ़र’ सत्तासीन हुए थे। तीन वर्ष बाद उन्होंने ज़ीनत महल से शादी की। उस समय वे चौंसठ वर्ष के थे और ज़ीनत उन्नीस की। अनेक लोगों ने इस शादी का मज़ाक उड़ाया था। शाह के कई पत्नियाँ और बेटे थे। शादी के वक़्त तक ज़ीनत भी असमंजस में थीं। पर शाही इच्छा की अनदेखी नहीं की जा सकती थी। कहावत है मुई हाथी भी सवा लाख की। भले ही सल्तनत न रही पर अब भी एक लाख महीने की पेंशन। नज़राना, ज़मीन-ज़ायदाद, बाग़ों की आमदनी अलग से। ज़ीनत