गुजरात के धौलावीरा में हड़प्पन सभ्यता के अवशेष

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नीलम कुलश्रेष्ठ तब उसे समझ नहीं थी कि जिंदगी का नाम सुव्यवस्था हो सकता है। उसे जब चाहे, जो कपड़ा मिला पहन लिया या नहीं भी पहना। चाहे कोई फल या कच्चा शिकार का टुकड़ा खा लिया, जब चाहे, जहां चाहे गुफा या पेड़ पर सो गया। जब दो पत्थरों के आपस में रगड़ जाने से पहली चिंगारी निकली होगी, शायद वही नागरिक सभ्यता की पहली आधारशिला बनी । भारत में 1911 से पहले कोई जानता भी नहीं था कि यहाँ के प्राचीनतम शहर कैसे रहे होंगे। सिंध के लरकाना जिले में मोहनजोदड़ो व हड़प्पा के अंदर 1911 में जमीन