कंचन मृग - 3 उड़ि जा रे कागा

  • 1k
  • 441

3. उड़ि जा रे कागा रूपन को घर छोड़े पूरे बारह महीने बीत गए। पुनिका प्रायः आकर रूपन की माँ को ढाढ़स बँधाती, पत्तल बनाने में उसकी सहायता करती । रूपन को दम मारने की फुर्सत नहीं थी। वह उदयसिंह का विश्वास पात्र सैनिक था। उदयसिंह हर कहीं उसे साथ रखते। रूपन भी अपनी ओर से कोई कोर कसर नहीं छोड़ता। ‘न’ करना उसने सीखा नहीं था। संकटपूर्ण स्थितियों का सामना करने में वह दक्ष हो गया था। पर घर छूट गया था। माँ घर पर थी। कुछ ड्रम्म और संदेशा मिल जाता पर उसके मन की साध धरी की