कंचन मृग - 19. पारिजात शर्मा कहाँ नहीं गए?

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19. पारिजात शर्मा कहाँ नहीं गए? पारिजात शर्मा कहाँ नहीं गए? नदियों के श्मशान घाट पर महीनों बिताने के बाद भी वे सुमुखी का पता नहीं लगा सके। उनकी दाढ़ी बढ़ गई थी। बाल बढ़कर उलझ गए थे। वस्त्रों से भद्रता का अंश निकल चुका था। कहीं कुछ मिलता तो खा लेते। निरन्तर चिन्ता मग्न चलते रहते। आज वेत्रवती के तीर पहुँचकर वे पूरी तरह थक चुके थे। घाट पर पहुँच, उन्होंने नदी का जल पिया। घाट पर लगे एक अश्वत्थ पेड़ के नीचे बैठते ही, उन्हें नींद आ गई। फिर वही स्वप्न, जिसे वे सैकड़ों बार देख चुके हैं।