पांच व्यंग्य रचनाएँ

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मेरे ये व्यंग्य आज की विभिन्न सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विसंगतियों पर करारा तंज़ करते हैं. ये व्यंग्य आपका मनोरंजन करने के साथ-साथ आपको आज के हालात के बारे में भी बहुत कुछ सोचने के लिए मजबूर करेंगे.