आइना सच नहीं बोलता - 24

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अमिता सकते में थी। क्या हुआ माँ इतने हैरान-परेशान क्यों देख रहे तो मुझे तूने यह क्या पहना है क्या ! क्या पहना है मैंने साड़ी तो रोज़ पहनती हूँ , इसमें हैरानी वाली क्या बात है यह हलके रंग की साड़ी किसलिए पहनी है, माथे पर सिंदूर भी नहीं , अरे बेटा तूँ सुहागन है ! अच्छा माँ ! सच में सुहागन तो हूँ ! कहते हुए अमिता को बैठाते हुए खुद भी पास बैठ गई। माँ , सुहागन के रंग तो सुहाग की उपस्तिथि से ही तो........... बात बीच में ही रह गई और फिर बात करने का समय नहीं मिल पाया क्योंकि अब मिलने-जुलने वालों का ताँता लग गया था। मिलने आने वालों ने, विशेषकर परिवार की महिलाओं ने तो खास तौर पर , नंदिनी की वेशभूषा पर जरूर ध्यान दिया लेकिन कुछ कह नहीं पाए। नंदिनी की माँ ने यह देखा तो रो ही पड़ी। बेटी का घर बसाया था, वह भी उजड़ गया। अब उसकी इच्छा थी कि वे नंदिनी को साथ ले जाएँ।