एक अनुभव

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ओह, जीवन भी कितना अद्भुत है कभी कुछ सोचा और वह पूर्ण हो गया।अल्मोड़ा राजकीय इण्टर कालेज में पढ़ा था 1971-73 में।डेढ़ साल पहले उसके गेट को टूटी फूटी स्थिति में देखा और एक बिल्डिंग में दरार आयी थी जहाँ गणित और हिन्दी पढ़ते थे।इंटरनेट पर वहाँ पढ़े छात्रों ने इस टूट फूट को ठीक करने की इच्छा व्यक्त की थी। मैंने भी सहयोग की इच्छा व्यक्त की थी।लेकिन कैसे की जाय, यह किसी को पता नहीं था।