इत्तेफाक

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मेरे सारे पाठको को मेरा नमस्कार। लेखक के तौर पर ये मेरी पहेली कहानी है। तो इस मे व्याकरण की भूले हो सकती है । यह कहानी राज ओर खुशी की है जो मिलते है बिछड़े हे, ओर फिर इत्तेफाक से एक होते है । खुशी का घर : खुशी के पापा डीजीपी थे , एकदम कडक और नियमो का चुस्त बंध पालन करने वाले। खुशी की बडी बहन ने भाग कर शादी की थी। तब से वो ज्यादा कठोर बन गये ते। अब उनके जीवन मे अपनी बडी बेटी की कोई जगह नही थी । वो खुशी को प्यार तो बहुत करते थे पर डर लगता था उन्हे के वो भी वो गलती ना करे , जो उनकी बडी बेटी ने की थी। खुशी का कोलेज का पहेला दीन था आज वो तैयार होकर कोलेज जा रही थी । खुशी के पापा____ पीछे से एक रौबदार आवाज आई,,, कोलेज जा रही हो तो दोस्त सोच समझ कर बनाना। ओर सीधे सादे सुट मे ही जाना ,,,वहा तू पढ़ने के लिए जा रही हो कोई फैशन शो में नहीं,!! एक भी गलती हुई तो कोलेज बंद ,, समझी खुशी के पापा ने खुशी को चेतावनी देते हुए सूर मे कहा ।

Full Novel

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इत्तेफाक - भाग १

मेरे सारे पाठको को मेरा नमस्कार। लेखक के तौर पर ये मेरी पहेली कहानी है। तो इस मे व्याकरण की भूले हो सकती है । यह कहानी राज ओर खुशी की है जो मिलते है बिछड़े हे, ओर फिर इत्तेफाक से एक होते है । खुशी का घर : खुशी के पापा डीजीपी थे , एकदम कडक और नियमो का चुस्त बंध पालन करने वाले। खुशी की बडी बहन ने भाग कर शादी की थी। तब से वो ज्यादा कठोर बन गये ते। अब उनके जीवन मे अपनी बडी बेटी की कोई जगह नही थी । वो खुशी को प्यार तो बहुत करते थे पर ...Read More

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इत्तेफाक - भाग २

दूसरे दिन कोलेज कैम्पस: खुशी आज फिर से वही से गुजर रही थी थोड़ा-बहुत डर था पर फिर भी उस ने हिम्मत जुटाई और वहा से निकल ने लगी तभी पीछे से आवाज सुनाई दी ओ ओ बहन जी रुको जरा कहा जा रही हो यहाँ आओ । खुशी_____ वह पलटी और बोली,,,,,, क्या है क्या हुआ,,,,,? क्यों रोका है मुझे सोना - ओ बाप रे इतना गुस्सा,,,,, देखो यहां जो भी आता है हम से गुजर कर अंदर जाता है,,,,,, कल कुछ हुआ नहीं तो कल का कोटा आज पूरा होगा,,,! बोलो तुम क्या कर सकती हो हम सबके लिए। तभी रवींद्र ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 3

विकास,,,,, ओ महाशय आखरी बार पुछ रहा हु क्या हुआ,,? इस तरह गोल गोल मत घुमा। यार मुझे क्यों रहा है कि तुम लोग पागल हो गए हो मैंने कहा ना कि मुझे उससे प्यार हो गया है तो हो गया है। राज को पहली नजर वाला प्यार हो गया था,, , और वह भी भी खुशी के प्यार के नशे में ही था। पर उसके सारे दोस्त कंफ्यूज थे एक ऐसा थोड़ी ना होता है, एक बार देखा और प्यार हो गया। वह सब सोच ही रहे थे तभी उनके कानों में राज के कुछ शब्द पड़े ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 4

विकास- बोला यार मुझे नही लगता की तेरी दाल यहा वो तो एसे देखती है जेसे खाही जाऐगी तुजे। राज- कोई दिक्कत नही कोशिश करने मे क्या हर्ज है। विकास - ओहो भाई को प्यार हो गया है । राज हसकर फिर से शायरी गुनगुना ने लगता है, ना दूर रहने से रिश्ते टूट जाते हैं ना पास रहने से जुड़ जाते हैं यह तो एहसास के पक्के धागे हैं जो याद करने से और मजबूत हो जाते हैं। यार तु पागल मत हो जाना विकास बोलता है, राज बोलता है, यार मे तो उसकी ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 5

विकास- छेडते हुए बोला तो खुशी क्या? राज- गुस्साई हुई आवाज मे कल कोलेज मी मील बताता हु ओर हसते हुए फोन रख देता है। अगले दिन सुबह जल्द उठकर वो बाजार के लिए निकल जाता है। उस तरफ खुशी भी नाह कै रेड्डी हो जाती है आज पूरे दो दिन बाद वो राज को देखने वाली थी, उस ने खुद को आईने मे देखा सफेद सलवार सुट मे वो आज बहोत खूबसूरत लग रही थी। उसको काजल लगाना अच्छा नही लगता था फीर भी आज पहली बार काजल लगाया उस ने सिर्फ राज के लिए ओर वो कोलेज के लिए ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 6

वो सात बजे तक उठ जाया करती थी पर कल रात उसे सायद बोहोत दीनो बाद सुकून की नींद आई थी तो वो आज आठ बजे तक उठी नही थी।खीडकी मै से हल्की सी सूरज की कीरने उसके गालो को चुम रही थी, बीखरे बाल ओर नींद मे भी वो मंद मंद मुस्कुरा रही थी।तभी उसके करीब राज आया ओर जेसे ही उसने माथे पे कीस करने झुका तो वो जट से बैठ गई, खुशी ने देखा की सामने मा थी ओर प्यार से उसका सर सहेला रही थी वो अपने मा के गले लिपटकर बोली थोड़ा ओर ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 7

वो घर आकर सीधा अपने कमरे मे चली जाती है, खुद को आइने मे देखती है आंखे रो रो कर सुज चुकी थी, वो वोशरुम मे जाके हाथ मुह धोकर खुद को रिलेक्स करती है , मां ने जो राजपूती सुट दीया हुआ था वो पहेन कर तैयार होती है  जब माँ सा कमरे मे आके देखती है तो वो खुशी की नजरे उतार ती है ओर बोल ती है आज तो कवल बाईसा खूब सुन्दर लागे है, खुशी- मासा कीतनी बार बोला आपसे के मुजे इस नाम से मत बुलाईए। माँ सा- ने कहा आपकी शादी मे यही नाम होगा ...Read More

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इत्तेफाक - भाग 8

यहा इत्तेफाक ये है की दोनो की शादी एक दूसरे से ही हो रही है पर दोनो गम मै डूबे है की उनको पता ही नही चला अगर फोटो देख लेते तो शायद ....... दोनो की शादी हो गई वो शादी के बाद इनदोर से जयपुर आ गये जहा राज के दादा जी की पुस्तैनी कोठी थी विर प्रताप सिंह रिटायर हो गये थे तो अब सब लोग जयपुर सिफ्ट हो गये थे। सारी सादी की रस्मे पूरी हुई कुलदेवी के दर्शन हो गए, पूरे दो दिन बाद दोने आज साथ होने वाले थे। सारे मेहमान चले गए ,राज की भाभी ने सुहाग की सेज सजाई ओर खुशी को राज के कमरे मे ले गई जो अब उसका भी था। रात के बारा बजे रुम का दरवाज खुला खुशी ने ...Read More

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इत्तेफाक - अंतिम भाग

ओर रात तीन बजे निकल गये कुलदेवी के दर्शन के छे बज गए थे सब चाय पानी के लिए कोई ढाबे पर रुके तब अचानक मासा को याद आया की वो पालना तो घर ही भुल गई। अब आधे रास्ते से सब लोग वापस जा नही सकते तो , बाबा सा ने कहा की शैलराज आप गाडी लेके चले जाओ ओर आराम से सुबह निकल ना तबतक हम ट्रेन से माता के द्वार पहुचते है । राज घरके लिए निकल गया। वो आराम से गाडी चला रहा था करीब साडे नो बजे राज घर पहुंच गया , अपने रुम ...Read More