वो नीली आँखों वाला

(1)
  • 2.6k
  • 0
  • 1.2k

वो रोज ही सुबह की चाय बालकनी में घूमते हुए पीती थी। उसे ताज़ी हवा में घूमते हुए चाय पीना बहुत ही पसंद था। रोज की तरह आज भी चाय का एक बड़ा मग लिए हुए, बालकनी में आ खड़ी होती है। मौसम बहुत ही खुशगवार था, ठंडी- ठंडी हवा चल रही थी, आसमाँ में काले बादल छाए हुए थे; पर बारिश के आसार नज़र नहीं आ रहे थे। वो टहलते हुए चाय पीने लगती है। लेकिन आज दिल की कैफ़ियत कुछ अजीब सी हो रही थी। बहुत दिनों के बाद, आज फिर वही ख़्वाब आया था। 'एक नौजवान लड़का बहुत बुरी तरह ज़ख़्मी है। और वो उसका सर अपने गोद में लिए हुए जारो- कतार रो रही है।' तभी उसकी नज़र, घर के सामने वाली सड़क के दूसरी तरफ पड़ती है। वहाँ पर एक बहुत पुराना नीम का पेड़ था। उसके नीचे एक खू- बरु नौजवान लड़का पड़ा हुआ था। आँखें बंद थीं, लेकिन उसके होंठ हिल रहे थे। शायद कुछ बड़बड़ा रहा था। सर के बाल बढ़े हुए थे। कपड़े काफ़ी गंदे पहन रखे थे। लग रहा था महीनों से नहाया नहीं है। उसने डायरी जैसा हाथ में कुछ ले रखा था। लेकिन हुलये से वो किसी अच्छे परिवार का लग रहा था। उसे बड़ी हैरानी होती है। चूंकि सुबह के वक़्त आवा- जाही ज़रा कम रहती है। इस लिए वो अच्छे से जाएजा ले पा रही थी।

1

वो नीली आँखों वाला - (भाग-1)

वो रोज ही सुबह की चाय बालकनी में घूमते हुए पीती थी। उसे ताज़ी हवा में घूमते हुए चाय बहुत ही पसंद था। रोज की तरह आज भी चाय का एक बड़ा मग लिए हुए, बालकनी में आ खड़ी होती है। मौसम बहुत ही खुशगवार था, ठंडी- ठंडी हवा चल रही थी, आसमाँ में काले बादल छाए हुए थे; पर बारिश के आसार नज़र नहीं आ रहे थे। वो टहलते हुए चाय पीने लगती है। लेकिन आज दिल की कैफ़ियत कुछ अजीब सी हो रही थी। बहुत दिनों के बाद, आज फिर वही ख़्वाब आया था। 'एक नौजवान लड़का ...Read More