हंसी के महा ठहाके

(38)
  • 58k
  • 4
  • 23.2k

प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मामा मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा सूत्र में पिरो कर हंसाने गुदगुदाने वाली रचना के रूप में यहां मातृभारती के आप सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। आज प्रस्तुत है इसका पहला भाग:

Full Novel

1

हंसी के महा ठहाके - 1

हंसी के महा ठहाके (हास्य - व्यंग्य धारावाहिक) भाग 1 प्रस्तुत हास्य व्यंग्य के धारावाहिक में एक आम नागरिक मौजी राम और उनके शिष्य सवालीराम के किस्से हैं।अपने पास-पड़ोस में बिखरे हास्य के प्रसंगों को एक दीर्घ कथा सूत्र में पिरो कर हंसाने गुदगुदाने वाली रचना के रूप में यहां मातृभारती के आप सुधि पाठकों के समक्ष प्रस्तुत करने का एक प्रयास है। आज प्रस्तुत है इसका पहला भाग: भाग 1: क्या-क्या जरूरी है नए साल 2023 में चीन से आने वाले कोरोना की गंभीर स्थिति की खबरों से मौजी मामा भी बेचैन हो गए हैं।वे बीच-बीच में अपने ...Read More

2

हंसी के महा ठहाके - 2 - तैयारी धूम धड़ाके की

तैयारी धूम धड़ाके कीमौजी मामा का मोहल्ला अपने आप में लघु भारत है।यहां की एक मुख्य गली के चारों घर बने हुए हैं और वह गली भी एक बंद रास्ते में खत्म हो जाती है।इसका लाभ यह होता है कि मौजी मामा के मोहल्ले के लोग कोई भी छोटा आयोजन गली में ही दरी बिछाकर या कुर्सियां लगाकर कर लेते हैं।ऐसे आयोजनों के समय घरों के सामने दुपहियों की जो पार्किंग होती है,वह गली के प्रवेश द्वार के पास ही एक साथ हो जाती है और भीतर का पूरा रास्ता एक बड़े गलियारे के रूप में प्रोग्राम हाल की ...Read More

3

हंसी के महा ठहाके - 3 - मामा जा पहुंचे मेला

मामा जा पहुंचे मेला खंड 1मौजीराम का शहर नदी तट पर है।यहां हर साल मेले का आयोजन होता है।यूं मौजीराम जी को भीड़भाड़ और शोर-शराबा पसंद नहीं है, लेकिन त्यौहारों और मेलों के अवसर पर वे लोकदर्शन के उद्देश्य से वहां अपनी उपस्थिति जरूर दर्ज कराते हैं।इस बार श्रीमतीजी जाने के पक्ष में नहीं थीं। उन्होंने मौजी राम से कहा,"क्या करेंगे भीड़ भाड़ में जाकर?आपकी दुपहिया रखने की भी तो जगह नहीं मिलती।" "आप चिंता क्यों करती हो भगवान?गाड़ी को ऐसी जगह रखूंगा,जहां वापसी के समय सीधे गाड़ी उठाएंगे और निकल पड़ेंगे घर की तरफ। मतलब कोई असुविधा नहीं।"मौजी ...Read More

4

हंसी के महा ठहाके - 4 - मामा जा पहुंचे मेला :समापन भाग

भाग 4: मामा जा पहुंचे मेला :समापन भाग (पिछले अंक से आगे) ........मौजी मामा की स्कूटी नदी के तट बने मंच के पास पहुंची।सामने ही मंदिर था और इससे लगा हुआ नदी का तट। मेले में सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन करने के लिए मंच बना हुआ था।सबसे पहले मामा परिवार ने मंदिर में पूजा अर्चना की और नदी के दर्शन किए।अब इस नदी के तट पर भी आरती की परंपरा शुरू हुई है।मामा खड़े होकर सोचने लगे,यह बहुत अच्छा है कि प्रकृति के पूजन, संरक्षण और संवर्धन के प्रयत्न से प्रकृति और मानव का माता पुत्र वाला संबंध मजबूत ...Read More

5

हंसी के महा ठहाके - 5 - इश्क़ का चक्कर भाग 1

भाग 5 :इश्क़ का चक्कर भाग 1 आजकल इश्क़ के तौर-तरीके बदल गए हैं। पहले प्रेम तो विवाह के ही होता था। शादियां इस तरह की होती थीं कि माता पिता ने जहां विवाह निश्चित कर दिया; लड़का और लड़की उसे ईश्वर आज्ञा समझकर स्वीकार करते थे और ऐसी शादियां टिकती भी जीवन भर थीं। संयुक्त परिवार में बड़ों की उपस्थिति में एक दूसरे से मिलना भी मुश्किल काम होता था। एक कठोर अनुशासन और मर्यादा का स्वबंधन हर जगह दिखाई देता था। यह जमाना चिट्ठी- पत्री का था।आंखों ही आंखों में इशारों का था ।पति पत्नी एक दूसरे ...Read More

6

हंसी के महा ठहाके - 6 - इश्क़ का चक्कर (समापन भाग)

भाग 6 इश्क़ का चक्कर समापन भाग पार्क में हंसी खुशी का वातावरण है। मामी की फरमाइश के अनुसार मामा उन्हें एक - दो शेरो शायरी सुनाने की शुरुआत करने ही जा रहे थे कि अचानक मामी के मोबाइल पर किसी का कॉल आ गया।फोन उनके मायके से था। मामा समझ गए कि अब वे अगले 15 से 20 मिनटों तक वेटिंग में ही रहेंगे। बगल की बेंच पर बैठी हुई लड़कियों की आवाजें अब धीमी हो गई हैं।उनमें से एक ने मोबाइल को सेल्फी मोड में लिया और वे दोनों अजीबोगरीब मुख मुद्राएं बना कर सेल्फी लेने लगीं।इधर ...Read More

7

हंसी के महा ठहाके - 7 - रविवार की छुट्टी

मौजी मामा और रविवार की छुट्टीआज रविवार का दिन है।मामा मौजीराम रविवार को इस तरह से मनाते हैं कि यह कोई त्यौहार हो।अन्य दिनों के अनुशासित मौजीराम उस दिन देर तक सोते हैं। उस दिन सुबह- सुबह मामी के हाथ से बेड टी पीकर ही वे बिस्तर छोड़ते हैं। अन्यथा अन्य दिनों में तो वे मामी के जागने से पहले ही दैनिक कार्यों से निवृत्त होकर अपना प्राणायाम शुरू कर चुके होते हैं।आज मामी ने चाय की ट्रे उनके बिस्तर पर रखते हुए कहा- अजी!अब रविवार को एक दिन आप इतनी फुर्सत में रहने की कोशिश क्यों करते हैं? ...Read More

8

हंसी के महा ठहाके - 8 - विवाह समारोह

विवाह समारोह आजकल बदल से गए हैं। एक तो पहले की होने वाली 4 से 5 दिनों तक चलने शादियां और उसमें कम से कम हफ्ते भर पहले से आने वाले मेहमान। अब नजदीकी रिश्तेदार भी बस शादी वाले दिन ही पहुंचते हैं और वे भी कोशिश इस तरह करते हैं कि रिसेप्शन होने के समय तक पहुंच जाएं ताकि एक पंथ दो काज हो जाए। पंगत में बैठकर खाने- खिलाने के दिन तो कब से गए। बफे सिस्टम के रूप में भोजन की जो अवधारणा सामने आई है वह,भीड़भाड़ के कारण विचित्र सा नजारा निर्मित करती है। पिछले ...Read More

9

हंसी के महा ठहाके - 9 - होली त्यौहार की धूम

हास्य सरिता होली त्योहार की धूम आज होली की धूम मची हुई है।शहर का हर कोना रंग से सराबोर शहर ही क्यों हर गांव, गली- मोहल्ले से लेकर महानगरों तक हर कहीं रंगों की छटा है।होली के दिन आज रंग जैसे हवाओं में घुल गए हैं।इससे वातावरण में मस्ती और उल्लास है।मौजी मामा की गली में भी होली का कार्यक्रम है। जमकर होली खेली जा रही है।लोगों के चेहरे पहचान में नहीं आ रहे हैं।इसकी शुरुआत एक दिन पहले होलिका दहन की सामग्रियों के लिए चंदा एकत्र करने से हुई। मामा के द्वार पर बच्चों की टोली एकत्र हो ...Read More

10

हंसी के महा ठहाके - 10 - ऑनलाइन ऑफर

ऑनलाइन ऑफर मौजी मामा पढ़े लिखे हैं।दुनिया के राग रंग से परिचित हैं।आजकल ऑनलाइन होने वाली ठगी के समाचारों अखबारों में पढ़कर चौकन्ने भी रहते हैं।जब कुछ साल पहले इस तरह की ठगी की शुरुआत हुई थी,तो उनका शागिर्द सवाली ऐसे ही एक ठगी के पीड़ित व्यक्ति को लेकर उनके पास आया था।उस व्यक्ति ने मामा के सामने ठग और अपनी फोन वार्ता का सीन रीक्रिएट किया:-- आपके नाम से एक लकी ड्रा निकला है और आपके खाते में ₹100000 पहुंचाने हैं।- अरे वाह; आप कहां से बोल रहे हैं?- पिछले दिनों आपने फला कंपनी का सामान खरीदा था ...Read More

11

हंसी के महा ठहाके - 11 - मोबाइल से होता संवाद

मोबाइल से होता संवाद सोशल मीडिया अब इस तरह हमारे जीवन में हावी हो गया है,जिसकी दखल चौक बाजार लेकर घर के अंतः कक्षों तक है।अब घर में जितने सदस्य हैं,उतने की अपनी अलग-अलग दुनिया है।पहले एक छत के नीचे लोग रहते थे, अब एक छत के नीचे अलग-अलग कमरों में लोग रहते हैं।पहले संवाद का माध्यम नियमित तौर पर लगातार होते रहने वाली बातचीत के साथ- साथ भोजन पर लोगों का इकट्ठा होना रहता था।चाहे दिन भर अलग-अलग हों, लेकिन भोजन पर एक बार अवश्य साथ बैठकर दिन भर की चर्चा कर लेते थे।आजकल लोग या तो अलग-अलग ...Read More

12

हंसी के महा ठहाके - 12 - ऑनलाइन शॉपिंग के मजे

ऑनलाइन शॉपिंग के मजे आजकल तेज भागती दुनिया में हर चीज ऑनलाइन उपलब्ध है।अब वे दिन लद गए, जब को खरीदने के लिए लंबी लाइन लगती थी।चाहे बैंक हो, रेलवे स्टेशन का रिजर्वेशन काउंटर हो या ऐसी ही अन्य कोई सार्वजनिक सेवा, लोग कतार से थोड़ी देर के लिए भी हटते तो अपने बदले किसी और को खड़ा कर जाते।मौजीराम उन दिनों को याद कर और आज के दिनों की तुलना कर राहत की सांस लेते हैं।अब अनेक काम घर बैठे ही होने लगे हैं।आज का अखबार पढ़ते हुए एक खबर पर उनका ध्यान अटका,"ऑनलाइन बुकिंग में ठगी, पार्सल ...Read More

13

हंसी के महा ठहाके - 13 - फोटोग्राफी के बड़े झमेले

हास्य सरिता फोटोग्राफी के बड़े झमेले अपनी यादों को स्थाई बनाने के लिए फोटोग्राफी एक महत्वपूर्ण माध्यम है। आजकल के दौर ने भारी स्टिल कैमरों को पीछे छोड़ दिया है।अब लाइटवेट कैमरे कहीं नजर भी आते हैं तो केवल व्यावसायिक फोटोग्राफरों के पास अन्यथा मोबाइल पर ही अत्याधुनिक कैमरों की ऐसी सुविधा है कि अब हर व्यक्ति फोटोग्राफर बन गया है।मौजी मामा कहा करते हैं कि फोटोग्राफी एक बहुत बड़ी कला है लेकिन जैसे कुछ लोग अपनी लापरवाही और चलताऊपन के कारण कभी-कभी इस कला का मजाक बना देते हैं। पिछले दिनों मौजी मामा को उनके काव्य संग्रह के ...Read More