इस अध्याय में "कसीदा" की परिभाषा दी गई है, जो फारसी कविता का एक रूप है, जिसमें कवि किसी महान व्यक्ति या वस्तु की प्रशंसा करता है। यह प्रथा इस हद तक बढ़ गई थी कि कवि दरबारों में अपने बादशाहों की प्रशंसा करके पुरस्कार और सम्मान प्राप्त करते थे। कई कवियों ने इस प्रणाली का लाभ उठाया, और कसीदों की रचना शैली इतनी विकृत हो गई थी कि उनकी प्रशंसा में अतिशयोक्ति भरी होती थी। शेख सादी ने इस प्रथा को नहीं अपनाया। वे इस भाटपने से घृणा करते थे और अपने कवि कौशल का उपयोग सांसारिक लाभ के लिए नहीं करना चाहते थे। उन्होंने एक स्थान पर लिखा है कि लोग उनसे पूछते हैं कि वे क्यों कष्ट उठाते हैं और अपने कवित्व शक्ति से लाभ क्यों नहीं उठाते, लेकिन वे इस विचार को स्वीकार नहीं करते। उनके विचारों में निस्वार्थता और ईमानदारी का भाव है, जो उन्हें अन्य कवियों से अलग करता है। शेख़ सादी - 11 by Munshi Premchand in Hindi Fiction Stories 1k 2.6k Downloads 7.4k Views Writen by Munshi Premchand Category Fiction Stories Read Full Story Download on Mobile Description कसीदा फ़ारसी कविता के उस अंग को कहते हैं जिसमें कवि किसी महान पुरुष या किसी विशेष वस्तु की प्रशंसा करता है। जिस प्रकार भूषण, मतिराम, केशव आदि कविजन अपने समकालीन महीपतियों या पदाधिकारियों की प्रशंसा करके नाम, धन तथा यश प्राप्त करते थे, उसी प्रकार मुसलमान बादशाहों के दरबार में भी इसी विशेष काम के लिये कवियों को सम्मान का स्थान मिलता था। उनका काम यही था कि कतिपय अवसरों पर अपने बादशाह का गुणगाणा करे। इसके लिए कवियों की बड़ी-बड़ी जागीरें मिलती थीं, यहाँ तक कि एक-एक शेर का पारितोषिक एक-एक लाख दीनार (जो पच्चीस रुपये के बराबर होता है) तक जा पहुंचता था। शिवाजी ने भूषण का जैसा सत्कार किया था, यदि यह अत्युक्ति न हो तो ईरानी कवियों के संबंध में भी उनके अलौकिक सत्कार की कथायें सच्ची मानने में कोई बाधा न होनी चाहिए। Novels शेख़ सादी शेख़ मुसलहुद्दीन (उपनाम सादी) का जन्म सन् 1172 ई. में शीराज़ नगर के पास एक गांव में हुआ था। उनके पिता का नाम अब्दुल्लाह और दादा का नाम शरफुद्दीन था। &... More Likes This DARK RVENGE OF BODYGARD - 1 by Anipayadav वाह साहब ! - 1 by Yogesh patil मेनका - भाग 1 by Raj Phulware बेवफाई की सजा - 1 by S Sinha RAJA KI AATMA - 1 by NOMAN क्लियोपेट्रा और मार्क एंथनी by इशरत हिदायत ख़ान राख की शपथ: पुनर्जन्मी राक्षसी - पाठ 1 by Arianshika More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories