कहानी "आइना सच नहीं बोलता" में नंदिनी अपने जीवन में घाटा और संघर्षों का सामना कर रही है। उसने सोचा कि अब वह हार नहीं मान सकती, क्योंकि उसकी जीत में उसके परिवार की उम्मीदें जुड़ी हुई हैं। नंदिनी ने तय किया कि वह सबको एक साथ बुलाकर एक मीटिंग करेगी, जहाँ उन्होंने खर्चों की स्थिति और लाभ को समझाया। अमिता ने भी सुझाव दिया कि काम के अनुसार पारिश्रमिक दिया जाएगा और कच्चा माल कम से कम बर्बाद किया जाएगा। दिल्ली मेले में नंदिनी और उसकी सहेलियों ने कुछ सामान बेचा, लेकिन उनके हाथ से बने क्रोशिया के मेजपोश और कुशन कवर नहीं बिके। वहां उन्होंने नए ग्राहकों से मुलाकात की और उनकी सलाह पर विचार किया। नंदिनी ने फैशन पत्रिकाएं खरीदीं ताकि वह बाजार की मांग के अनुसार डिज़ाइन चुन सके। अंत में, उसने बचे हुए सामान को लागत मूल्य पर बेचने का सुझाव दिया। अमिता नंदिनी की मेहनत देखकर भावुक हो गई, क्योंकि वह जानती थी कि उस समाज में महिलाओं की खुशियों का कोई महत्व नहीं होता। यह कहानी नंदिनी के संघर्ष और उसकी इच्छाशक्ति को दर्शाती है, जो अपने परिवार और खुद के लिए एक बेहतर भविष्य बनाने की कोशिश कर रही है। आइना सच नहीं बोलता - २९ by Neelima Sharma in Hindi Fiction Stories 38 2.6k Downloads 10k Views Writen by Neelima Sharma Category Fiction Stories Read Full Story Download on Mobile Description सीढ़ी उतर कर जब नीचे आई तो नंदिनी और अमिता मेज पर खाना लगा रही थी नंदिनी मंद मंद मुस्कुरा रही थी विरह को उससे बेहतर कौन समझ सकता था भाई को मनाकर बुलाने के लिय उसकी सहायता अमिता ने की थी साक्षी और नंदिनी के बेटे रमा के साथ कमरे में खेल रहे थे पिता को अचानक सामने देख साक्षी का बेटा पहले तो कुछ शरमाया फिर कूद कर पाSSSS पाSSSSSSSS कह गोद में चला गया दिवित पा .....पा कह कर मामा की तरफ देखता रहा नंदिनी और अमिता की आँखे भर आई और अमिता ने दिवित को उठाकर अपने कमरे में लेजाकर समर प्रताप की फोटो के सामने खड़ा कर दिया और दिवित को दिखा कर बोली ............... पा SSSS पा साक्षी अगली सुबह ससुराल लौट गयी जाते जाते अमिता ने उसको अपनी बेटियों की तरह नेग शगुन कपडे मिठाई के साथ विदा किया साक्षी जाते जाते एप्लिक के लिय आई सब साड़ियाँ और सामान भी साथ ले गयी कि वहां से बनाकर भेज दूंगी Novels आइना सच नहीं बोलता “रिश्ते सीमेंट और ईंटों की मज़बूत दीवारों में क़ैद हो कर नहीं पनपते... उन्हें जीने के लिये खुली बाहों का आकाश चाहिये। क्या विवाह हो जाना ही एक स्त्री... More Likes This गड़बड़ - चैप्टर 2 by Maya Hanchate इश्क़ बेनाम - 1 by अशोक असफल शोहरत की कीमत - 1 by बैरागी दिलीप दास रंग है रवाभाई ! by Chaudhary Viral बाजी किस ने प्यार की जीती या हारी - 1 by S Sinha समुंद्र के उस पार - 1 by Neha kariyaal जग्या लॉस्ट हिज़ वीरा - भाग 2 by Jagmal Dhanda More Interesting Options Hindi Short Stories Hindi Spiritual Stories Hindi Fiction Stories Hindi Motivational Stories Hindi Classic Stories Hindi Children Stories Hindi Comedy stories Hindi Magazine Hindi Poems Hindi Travel stories Hindi Women Focused Hindi Drama Hindi Love Stories Hindi Detective stories Hindi Moral Stories Hindi Adventure Stories Hindi Human Science Hindi Philosophy Hindi Health Hindi Biography Hindi Cooking Recipe Hindi Letter Hindi Horror Stories Hindi Film Reviews Hindi Mythological Stories Hindi Book Reviews Hindi Thriller Hindi Science-Fiction Hindi Business Hindi Sports Hindi Animals Hindi Astrology Hindi Science Hindi Anything Hindi Crime Stories