A warrior sets out in search of water to save his kingdom from drought. He brings home what they think is a \'water-seed\'. पहला कुआँ बुकबॉक्स के शब्दों में बहुत पहले एक तालाब के चारों ओर एक साल भारी गर्मियों में बारिश नहीं हुई और तालाब सूख गया। लोग परेशान हुए और वे राजा से मिलने गए। \"बहुत दिनों से बारिश नहीं हुई है हमारे खेत बंजर हो गए हैं!\" किसानों ने कहा। \"मछली तक नहीं है। हमारा गुज़ारा कैसे होगा?\" मछुआरे बोले। \"हे महाराज! हमें इस मुसीबत से बचाइये।\" औरतों ने अनुरोध किया और बच्चे प्यास के मारे रो दिए। राजा ने अपने चार सेनापतियों को पानी की तलाश में चारों दिशाओं में भेज दिया। पहला सेनापति पूर्व, सूर्योदय की ओर बढ़ा। दूसरा दक्षिण, धूल और गर्मी की ओर गया। तीसरा पश्चिम की दिशा जहाँ सूर्यास्त होता है, और चौथा उत्तर, ध्रुवतारा की दिशा को चला। वे रात-दिन, दिन-रात पानी ढूँढ़ते रहे। ऊपर नीचे सब तरफ़ हर जगह पानी ढूँढ़ा पर असफ़ल रहे। तीन सेनापति हारकर वापस लौट आए, ख़ाली हाथ। पर वह सेनापति जो उत्तर दिशा को गया था, दृढ़-निश्चित था कि अपने राजा को निराश नहीं करेगा आख़िर एक ठंडे पहाड़ पर बसे हुए गाँव को पहुँचा। जैसे ही वह पर्वत के नीचे बैठा एक बूढ़ी औरत उसके पास आकर बैठ गई। सेनापति ने क्षितिज की ओर इशारा करते हुए कहा \"मैं एक ख़ूबसूरत राज्य का रहनेवाला हूँ जहाँ एक साल से पानी नहीं बरसा है। क्या आप पानी ढूँढ़ने में मेरी सहायता कर सकती हैं?\" औरत ने सेनापति को अपने पीछे ऊपर पर्वत की गुफ़ा में आने का संकेत किया। \"हमारे शहर में भी पानी नहीं है।\" वह बोली फिर गुफ़ा में लटकती हुई बर्फ़ की धाराओं को दिखाते हुए उसने कहा \"हम इसे बर्फ़ कहते हैं। इसे ले जाओ और तुम्हारे राज्य में कभी कोई प्यासा नहीं रहेगा।\" सेनापति ने एक बड़ा सा बर्फ़ का टुकड़ा तोड़ा और अपनी घोड़ा-गाड़ी पर उसे लादकर जल्दी अपने घर को चला। जब तक वह दरबार पहुँचा वह बर्फ़ का टुकड़ा पिघलकर एक छोटा टुकड़ा बन चुका था। दरबार में किसी ने बर्फ़ नहीं देखी थी और सब अचरज-भरी नज़र से उसे ताकने लगे। \"यह अवश्य ही जल-बीज होगा\" एक मंत्री अचानक चीख उठा। राजा ने \'जल-बीज\' को तुरन्त बोने का आदेश दिया। ज्यों-ज्यों किसान धरती खोदते गए त्यों-त्यों बर्फ़ का टुकड़ा धूप में पिघलता रहा। उन्होंने जल्द उस बीज को गड्ढे में रखा, पर इससे पहले कि वे उसे ढक पाते वह ग़ायब हो चुका था। किसान बड़े भ्रमित और चिंतित हुए। रात भर वे धरती को उस जादुई बीज की खोज में गहरा करते गए। भोर के समय राजा ने किसानों को गड्ढे के इर्द-गिर्द सोता पाया। जिज्ञासु राजा ने गड्ढे में झाँका और ख़ुशी से चहक उठा \"जागो मेरे होनहार आदमियोें जल-बीज विकसित हो चुका है! गड्ढे में पानी है!\" इस प्रकार पहला कुआँ बना। Illustrations: Emanuele Scanziani Music & Art Direction: Holger Jetter Translation: Devashish Chainani Narration: Deepshikha Durgapal Animation: Alfrin Multimedia
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