कबिरा खड़ा बजार में

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कबीरदास एक महान संत थे। जिनकी वाणी ने वह अमृत बरसाया जिसमें आज भी कई झुलसती आत्माएं तृप्ति पाती हैं। संसार रूपी मरुथल में भटकते लोगों को उनके उपदेशों ने सही राह दिखाई। कबीरदास की वाणी आज के इस विषम समय में भी उतनी ही प्रभावी है जितनी उस समय थी। आज का समाज भी धर्म व जाति के दायरों में बंटा हुआ है। दिन पर दिन यह दायरे और संकुचित हो रहे हैं। धर्म का अभिप्राय ईश्वर भक्ति नहीं बल्कि महज़ पूजा पाठ तथा अन्य धार्मिक कार्यकलापों तक ही सिमट कर रह गया है। ऐसे में कबीरदास की उस वाणी की बहुत आवश्कता है जो हमारी धर्मभीरुता पर करारा प्रहार कर हमें धर्म के संकीर्ण रूप से बाहर निकाल कर सही राह दिखा सकें।