आजाद-कथा - खंड 2 - 60

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मियाँ शहसवार का दिल दुनिया से तो गिर गया था, मगर जोगिन की उठती जवानी देख कर धुन समाई कि इसको निकाह में लावें। उधर जोगिन ने ठान ली थी कि उम्र भर शादी न करूँगी। जिसके लिए जोगिन हुई, उसी की मुहब्बत का दम भरूँगी। एक दिन शहसवार ने जो सुना कि सिपहआरा कोठे पर से कूद पड़ी, तो दिल बेअख्तियार हो गया। चल खड़े हुए कि देखें, माजरा क्या है? रास्ते में एक मुंशी से मुलाकात हो गई। दोनों आदमी साथ-साथ बैठे और साथ ही साथ उतरे। इत्तफाक से रेल से उतरते ही मुंशी जी को हैजा हो गया। देखते-देखते चल बसे। शहसवार ने जो देखा कि मुंशी के पास दौलत काफी है, तो फौरन उनके बेटे बन गए और सारा माल असबाब ले कर चंपत हो गए। सात हजार की अशर्फियाँ, दस हजार के नोट और कई सौ रुपए हाथ आए। रईस बन बैठे। फौरन जोगिन के पास लौट गए।