रूस के पत्र - 14

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इस बीच में दो-एक बार मुझे दक्षिण द्वार से सट कर जाना पड़ा है, वह द्वार मलय समीर का दक्षिण-द्वार नहीं था, बल्कि जिस द्वार से प्राण-वायु अपने निकलने के लिए रास्ता ढूँढती है, वह द्वार था। डॉक्टर ने कहा - नाड़ी के साथ हृदय की गति का जो क्षण भर का विरोध हुआ था, वह थोड़े पर से ही निकल गया। इसे अवैज्ञानिक भाषा में मिराकिल (जादू) कहा जा सकता है - अब से खूब सावधानी से रहना चाहिए। अर्थात उठ कर चलने-फिरने से हृदय में वाण आ कर लग सकता है - लेटे रहने से लक्ष्य भ्रष्ट हो सकता है।