संगीत ईश्वर का एक रूप

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ब्रह्म संपूर्ण ब्रह्मांड का आधार है। सभी कुछ इससे उपजता है और इसी में लीन हो जाता है। संगीत को नाद ब्रह्म भी कहते हैं। भारतीय शास्त्रीय संगीत में आत्मा को भिगो देने की शक्ति है। इसके माध्यम से हम स्वयं की अनुभूति कर सकते हैं। संगीत ध्वनि का एक ऐसा रूप है जहाँ सात सुरों को अनुशासन में व्यवस्थित किया जाता है। यह अनुशासित संग्रह हमारे मन पर अनुकूल प्रभाव डालता है। हमें दुनिया के आडंबरों से दूर कर स्वयं से जुड़ने में मदद करता है।