ध्यान और पुनर्जन्म

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जब जब कोई मेरे अहम पर चोट पहुँचाता, तब तब मेरे मन में बैर उपजता। तब तब ध्यान के समय ये नकारात्मक विचार मुझे परेशान करने लगते। मेरे अहम को ध्यान का समय ही सबसे उपयुक्त लगता, मेरे तथाकथित शत्रु को हराकर स्वयं के विजय का रसास्वादन के लिए। कारण कि यहाँ पे कोई रोकने वाला नहीं था। मुझे महर्षि रमण की बात याद आने लगी। नफरत, क्रोध , बैर की भावना दीवाल में लगी हुई खूँटियों की भाँति कार्य करती है। इस कारण जीवात्मा स्वयं को जन्म और मरण रूपी दीवाल पर बार बार टांग देता है। जब जब आप किसी के प्रति नकारात्मक विचार निर्मित करते हैं, एक बात तो तय है...