ज्ञानी भिखारी

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ज्ञानी भिखारी ऋषि शौनक तथा अभिप्रत्तारी दोनों वायु देव के उपासक थे। एक दिन दोपहर को जब वह दोनों भोजन करने बैठे तो वहाँ एक ब्रह्मचारी आया और भिक्षा मागने लगा। लेकिन दोनों ऋषियों ने उसे भोजन देने से मना कर दिया। आश्रम में द्वार पर आए भिक्षुक को मना करना सही नहीं था। अतः उस भिक्षुक ने उनसे प्रश्न किया।"आप दोनों किस देवता के उपासक हैं।"उनमें से एक ने उत्तर दिया "हम वायु देव के उपासक हैं। वायु देव हमें जीवन शक्ति प्रदान करते हैं। इसलिए उन्हें प्राण भी कहा जाता है।"उस भिक्षुक ने बड़े ध्यान से उत्तर को